श्री माँ के वचन

पूर्णता और कर्म

अगर लोगों को पूर्ण होने की वजह से काम को बंद कर देना पड़े तो हर व्यक्ति को पूरी तरह…

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दूसरों की राय

जो दोषहीन है वह दूसरों की राय की परवाह नहीं करता । संदर्भ : माताजी के वचन (भाग-२)

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औरों की राय

तुम औरों की मनोभावनाओं और सनको का अपने ऊपर असर नहीं पड़ने देते  - यह बात बिलकुल ठीक है। तुम्हें…

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चरित्र

यह न मानो कि काम बदलने से तुम्हारा चरित्र भी बदल जायेगा । यह पहले भी कभी सफल नहीं हुआ…

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धैर्य कैसे बढ़ाये ?

यदि मन सभी परिस्थितियों और सभी हालतों में शान्त रहे तो धैर्य आसानी से बढ़ेगा। संदर्भ : श्रीमाँ के वचन…

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सच्चा साहस

मुर्ग़ी और  उसके बच्चे का एक दृष्टांत सुनो : गौतम बुद्ध अपने शिष्यों से कहते थे कि  तुम अपनी ओर…

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उदार हृदय

उदार हृदय हमेशा अपने पुराने दुर्व्यवहारों को भूल जाता है और दुबारा सामंजस्य लाने के लिए तैयार रहता है। आओ,…

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भौतिक क्रियाएँ

इन भौतिक क्रियाओं को इतना अधिक महत्व क्यों दिया जाये ? ज्यादा अच्छा यह है कि उनसे बिलकुल मुक्त अनुभव…

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आपको पाने के लिए

मुझे यह सिखाइये कि आपको पाने के लिए किस तरह प्रयास करूँ ? तुम्हें अपनी इच्छा-शक्ति लगानी होगी । संदर्भ…

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दूसरे की आवश्यकता

मधुर माँ, हम दूसरे की आवश्यकता को कैसे जान सकते और उसकी सहायता  कर सकते हैं ? मैं बाहरी चीजों…

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