श्रीअरविंद के वचन

भगवान

समस्त अधो जगत में व्याप्त है तू, जो , फिर भी बैठा ऊपर दूर परे ; कर्मी, शासक, ज्ञानी, सबका…

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व्यर्थ के विचारों से मुक्ति – १

प्रश्न -कार्य के समय व्यर्थ के विचार घुस आतें है और बाहरी और भीतरी सत्ताओं के संपर्क में बाधा डालते…

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बंदीगृह और ध्यान-मंदिर

" जब मैं 'अज्ञान' में सोया पड़ा था, तो मैं एक ऐसे ध्यान-कक्ष में पहुंचा जो साधू-संतों से भरा था…

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श्री अरविंद गायत्री मंत्र – जोया मित्तर

  तत्सवितुर्वरं रूपं ज्योतिः परस्य धीमहि | यन्नः सत्येन दीपयेत् ||

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