श्रीअरविंद के वचन

कामनाएँ

यदि अच्छी कामनाएँ हैं तो बुरी कामनाएँ भी आयेंगी। संकल्प और अभीप्सा तो साधना के अंग हैं, लेकिन कामना के…

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श्रद्धास्पद वस्तु

अधिकतर मनुष्यों की आध्यात्मिक उन्नति बाह्य आश्रय की, अर्थात् उनसे बाहर विद्यमान किसी श्रद्धास्पद वस्तु की अपेक्षा करती है। उन्हें…

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रोग का उद्देश्य

प्रत्येक रोग स्वस्थता के किसी नवीन आनंद की ओर जाने का एक पथ है, प्रत्येक अमंगल और दुख-ताप  प्रकृति का…

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सतत ‘उपस्थिती’

हमेशा ऐसे जियो मानों तुम 'परम प्रभु' तथा  'भगवती माँ' की दृष्टि के सामने हो। ऐसी कोई क्रिया न करो,…

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पूर्ण जीवन की ओर

यदि मनुष्य जीवन को कम गंभीरतापूर्वक लें तो वे बहुत शीघ्र उसे अधिक पूर्ण बना सकेंगे। भगवान् कभी अपने कार्य…

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निर्बलता

यदि तुम निर्बलता के विचार को दूर फेंक दो तो शक्ति लौट आएगी। किन्तु प्राणमय भौतिक सत्ता में सदा ही…

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भगवती माँ की कृपा

उनकी कृपा का स्पर्श कठिनाई को सुयोग में, विफलता को सफलता में और दुर्बलता को अविचल बल में परिणत कर…

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पूंजीवाद

समाजवादी चाहते हैं पूंजीवाद को खत्म करना, किन्तु ऐसा न करना बेहतर होगा। वे राष्ट्रीय संपत्ति के स्तोत्र हैं। उन्हें…

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भगवान के तरीके

भगवान के तरीके मानव-मन के तरीकों जैसे नहीं है या हमारे आदर्शों के अनुरूप नहीं होते और उनके विषय में…

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श्रद्धा के नेत्र

परम श्रद्धा वह है जो सबके अन्दर ईश्वर को देखती है और उस श्रद्धा के नेत्र के लिए अभिव्यक्ति तथा…

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