श्रीअरविंद के वचन

रोगी की श्रद्धा

औषधि उतना रोगमुक्त नहीं करती जितना कि चिकित्सक और औषधि में रोगी की श्रद्धा करती है। मनुष्य की अपनी निजी…

% दिन पहले

भागवत आदेश

जब तुझे आदेश प्राप्त हो जाये तब तू बस उसे पूरा करने की ही फिक्र कर। बाकी चीज़ तो है…

% दिन पहले

श्री माँ की उपस्थिती

श्रीमाँ की उपस्थिती हमेशा उपस्थित रहती है; लेकिन अगर तुम अपने ही भरोसे क्रिया करना चाहो-चीजों पर अपने ही विचार,…

% दिन पहले

भागवत संकल्प को जानना

भागवत संकल्प को जानने के लिये यह जरुरी है कि मन शान्त हो। शान्त मन में ही - जो भगवान…

% दिन पहले

विनोदप्रियता

आध्यात्मिक पूर्णता में क्या विनोदप्रियता का कोई स्थान है ? अगर कोई सिद्ध कभी नहीं हँसता तो वह उसकी अपूर्णता…

% दिन पहले

भगवान क्या चाहते हैं…

तुम क्या चाहते हो इसे तुम्हें अलग रख देना होगा, और यह जानने की इच्छा करनी होगी कि भगवान क्या…

% दिन पहले

श्रीकृष्ण में निवास

श्रीकृष्ण में निवास करने पर शत्रुता भी प्रेम की ही एक क्रीडा तथा भाइयों का मल्ल्युद्ध बन जाती है ।…

% दिन पहले

सदा सही काम

तुम सदा सही काम कर सको इसके लिए यदि तुम बहुत अधिक चाहते हो कि तुम्हें चेतना मिले और इसके…

% दिन पहले

आध्यात्मिक जीवन में सफलता

सामान्य जीवन से बस व्याकुलता भरा असंतोष इस योग के लिए पर्याप्त तैयारी नहीं है। आध्यात्मिक जीवन में सफलता पाने…

% दिन पहले

अतिमानव होने का अर्थ

अतिमानव होने का अर्थ है, दिव्य जीवन जीना, देव होना, क्योंकि देवगण भगवान् की शक्तियाँ हैं। वह मानवता के बीच…

% दिन पहले