श्री माँ

मन को खाली कैसे करें ?

मधुर मां, हम अपने मन को सब विचारों से खाली कैसे कर सकते हैं? जब हम ध्यान में इसके लिए…

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आप हमारे अन्दर विराजमान हैं

माँ, श्रीअरविन्द ने हमेशा कहा है कि आप, आप हमारे अन्दर विराजमान रहती है।   हाँ, यह सच है, एकदम…

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महत्त्व केवल लक्ष्य का है

५३-धार्मिक सम्प्रदायों के झगड़े उन बर्तनों के आपसी विवाद के समान हैं जिनमें अमरता देने वाला अमृत भरा जायेगा। उन्हें…

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सच्चा विश्राम

मैं अत्यन्त बुद्धिशाली, श्रेष्ठ कलाकार लोगों से परिचित थी जो, जैसे ही वे "शिथिल होना" आरम्भ करते, एकदम मूढ़ बन…

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अनिवार्य अवस्था

जो कुछ ग्रहणशील नहीं है वह सब कुचले जाने का अनुभव करता है, लेकिन जो ग्रहणशील है वह इसके विपरीत…

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विजय की प्राप्ति

विजय की प्राप्ति न केवल बलिदान से, न त्याग से, न ही निर्बलता से होती है। वह केवल ऐसे दिव्य…

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धर्म और योग में अंतर

मधुर मां, योग और धर्म में क्या अन्तर है? आह ! मेरे बच्चे... यह तो ऐसा है मानों तुम मुझसे…

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भय क्यों ?

(भय पर श्रीअरविन्द के एक सूत्र के बारे में बतलाते हुए श्रीमां ने कहा : ) ...उन लोगों को भी,…

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अन्तरात्मा की भूमिका

मधुर मां, अन्तरात्मा की क्या भूमिका है?   अन्तरात्मा के बिना तो हमारा अस्तित्व ही न होगा! अन्तरात्मा वह है…

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