हे माँ, मैं आपसे सचमुच बहुत दूर हूँ ! इसका कारण यह है कि तुम बहुत बिखरे हुए हो -…
(श्रीमाँ श्रीअरविंद से २९ मार्च १९१४ को पहली बार मिली थीं और यह प्रार्थना उन्होने १ अप्रैल १९१४ को लिखी…
वास्तविक तथ्य यह है कि विश्व में जिस चीज़ में तुम्हारी दिलचस्पी है - सीधे या घुमावदार रूप में, वह…
मां, हमारा सच्चा आध्यात्मिक जीवन कहां से आरम्भ होता है? सच्चा आध्यात्मिक जीवन तब आरम्भ होता है जब मनुष्य को…
तुम्हारी मुख्य भूल यह थी कि तुमने श्रीअरविन्द की शिक्षा को आध्यात्मिक शिक्षाओं में से एक मान लिया- और यहां…
हमारा भूतकाल चाहे जो भी रहा हो, हमने चाहे जो भी भूलें की हों, हम चाहे जितने अज्ञान में क्यों…
ऐसे लोग हैं, जो विनम्र दिखने के लिए कभी-कभी कह देते हैं : "मैं कुछ नहीं जानता," परंतु वे जो…
अगर तुम सचेतन अभीप्सा की अवस्था में हो, बहुत सच्चे हो तो बस, तुम्हारें इर्द-गिर्द सारी चीज़ें, प्रत्यक्ष या परोक्ष…
जीवन की परिस्थितियां चाहे जैसी हों, तुम्हें सदैव निराशा से दूर रहने की सावधानी बरतनी चाहिये और फिर दुःखी, उदास…
("माताजी के भारत के मानचित्र" के बारे में जो आश्रम के क्रीड़ांगड़) यह सब तरह के अस्थायी रूपों के बावजूद…