हमेशा भगवान् की उपस्थिति में ही निवास करो इस अनुभूति में रहो कि यह उपस्थिति ही तुम्हारी प्रत्येक क्रिया को…
स्वयं मुझे अनुभव है कि तुम शारीरिक रूप से, अपने हाथों से काम करते हुए भी पूरी तरह ध्यानस्थ और…
मधुर मां, हम यह कैसे जान सकते हैं कि हम व्यक्तिगत और सामुदायिक रूप में प्रगति कर रहे हैं या…
क्या पिछले कर्म साधना के मार्ग में नहीं आयेंगे ? तुम भूतकाल में जो कुछ भी रहे हो उसे भगवान…
.... जब तुम अच्छे हो, जब तुम उदार हो, महान, निःस्वार्थ और परोपकारी हो तो तुम अपने अन्दर, अपने चारों…
शान्ति, समस्त भू पर शान्ति! वर दे कि सभी सामान्य चेतना से बच निकलें और जड़-भौतिक वस्तुओं के लिए आसक्ति…
माताजी, मैं जानना चाहूंगा कि क्या मैं काम में अपने-आपको समर्पण कर पाने के बिन्दु तक पहुंच गया हूं? मुझे…
... चैत्य अग्नि को कैसे प्रज्वलित किया जाये? अभीप्सा के द्वारा। प्रगति करने के संकल्प के द्वारा, पूर्णता-प्राप्ति की उत्कण्ठा…
. . . जब तुम्हें लगे कि पूरी तरह किसी संकरे, सीमित विचार, इच्छा और चेतना में बंद हो, जब…
बाहरी दिखावों से निर्णय न करो और लोग जो कहते हैं उस पर विश्वास न करो, क्योंकि ये दोनों चीजें…