जो अपने हृदय के अन्दर सुनना जानता है उससे सारी सृष्टि भगवान् की बातें करती है । संदर्भ : माताजी…
हमारा मार्ग बहुत लम्बा है और यह अनिवार्य है कि अपने-आपसे पग-पग पर यह पूछे बिना कि हम आगे बढ़…
भौतिक जगत में, हमें जो स्थान पाना है उसके अनुसार हमारे जीवन और कार्य के लिए जो कुछ अनिवार्य हो…
‘भागवत कृपा’ के सामने कौन योग्य है और कौन अयोग्य? सभी तो उसी एक दिव्य ‘मां’ के बालक हैं। ‘उनका’…
जब शारीरिक अव्यवस्था आये तो तुम्हें डरना नहीं चाहिये, तुम्हें उससे निकल भागना नहीं चाहिये, तुम्हें उसका सामना साहस, शान्ति,…
एक आश्रमवासी काम से बहुत कतराता था, माताजी ने उसके नाम एक पत्र भेजा । परिश्रम के बिना जीवन नहीं…
मेरी सलाह है : चिन्ता न करो। तुम उसके बारे में जितना अधिक सोचते हो उतना अधिक तुम उस पर…
जीवन का एक प्रयोजन है-और वही एकमात्र सच्चा और स्थायी प्रयोजन है-वह हैं भगवान् । 'उनकी' ओर मुड़ो तो रिक्तता…
मैं अनुभव करता हूं कि मैं निष्फल भाग्य के साथ जन्मा आपका शून्य बालक हूं; ऐसे बालक के लिए जीवन…
तुम ज्योतिषियों की बात पर विश्वास ही क्यों करते हो? यह विश्वास ही मुश्किल लाता है। श्रीअरविन्द कहते हैं कि…