श्रीअरविंद

अनुकम्पा और दया

मनुष्यों को उनके दुख-दर्द से छुटकारा दिलाने के प्रबल आवेग को ही अनुकम्पा या करुणा कहा जाता है। किसी के…

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अन्दर गहराई में जाना

सुख और शान्ति अपने अन्दर बहुत गहराई में और दूर इसलिए अनुभव होते हैं क्योंकि ये चीजें चैत्य सत्ता में…

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केवल मां की ओर ताको

किसी भी साधक को कभी भी अयोग्यता के और निराशाजनक विचारों  नहीं पोसना चाहिये-ये एकदम से असंगत होते हैं, क्योंकि…

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भारत के पतन का कारण

यदि अधिकतर भारतीय सचमुच अपने सम्पूर्ण जीवन को सच्चे अर्थ में धार्मिक बना पाते तब हम लोगों की ऐसी स्थिति…

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शाश्वत भगवान की प्राप्ति

जब तक हम वर्तमान विश्व-चेतना में निवास करते हैं तब तक यह जगत, जैसा कि गीता ने कहा है, 'अनित्यमसुखम'…

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भगवती माँ की कृपा

तुम्हारी श्रद्धा, निष्ठा और समर्पण जितने अधिक पूर्ण होंगे, भगवती मां की कृपा और रक्षा भी उतनी ही अधिक रहेगी। और…

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आलोचना की आदत

आलोचना की आदत-अधिकांशतः अनजाने में की गयी दूसरों की आलोचना-सभी तरह की कल्पनाओं, अनुमानों, अतिशयोक्तियों, मिथ्या व्याख्याओं, यहां तक कि…

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प्रत्येक का अपना तरीका

प्रत्येक का साधना करने और भगवान तक जाने का अपना तरीक़ा होता है और दूसरे उसे कैसे करते हैं इसमें…

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निम्न प्रकृति की पकड़ को रद्द करना

हमारी प्रकृति भ्रांति तथा क्रिया की बेचैन अनिवार्यता के आधार पर  कार्य करती है, भगवान अथाह निश्चलता में मुक्त रूप…

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भगवान पर भरोसा

मनुष्य को भगवान पर भरोसा रखना, उन पर निर्भर होना चाहिए और साथ-साथ कोई उपयुक्त बनाने वाली साधना करनी चाहिये…

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