१. दूसरों पर नियन्त्रण रख सकने के लिए स्वयं अपने ऊपर पूर्ण नियन्त्रण पाना अनिवार्य शर्त है। २. कोई पसन्द…
धरती पर कठिन घड़ियाँ मनुष्यों को अपने तुच्छ निजी अहंकार को जीतने और सहायता तथा प्रकाश के लिए केवल भगवान…
अगर मन, प्राण और शरीर का पुनर्जन्म नहीं होता, केवल चैत्य ही फिर से जन्म लेता है तो मन, प्राण…
हमारी प्रकृति भ्रांति तथा क्रिया की बेचैन अनिवार्यता के आधार पर कार्य करती है, भगवान अथाह निश्चलता में मुक्त रूप…
मधुर मां, हम स्वप्न में अच्छे और बुरे में कैसे फर्क कर सकते हैं? सिद्धान्त रूप में, नींद के…
प्रभो, मैं तेरे सम्मुख हूं, दिव्य ऐक्य की धधकती अग्नि में प्रज्वलित हवि की तरह हूँ।... और इस तरह जो…
हमेशा भगवान् की उपस्थिति में ही निवास करो इस अनुभूति में रहो कि यह उपस्थिति ही तुम्हारी प्रत्येक क्रिया को…
मनुष्य को भगवान पर भरोसा रखना, उन पर निर्भर होना चाहिए और साथ-साथ कोई उपयुक्त बनाने वाली साधना करनी चाहिये…
स्वयं मुझे अनुभव है कि तुम शारीरिक रूप से, अपने हाथों से काम करते हुए भी पूरी तरह ध्यानस्थ और…
मधुर मां, हम यह कैसे जान सकते हैं कि हम व्यक्तिगत और सामुदायिक रूप में प्रगति कर रहे हैं या…