भौतिक चीजों का खयाल

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   माताजी, मैं अपनी चीजें बार-बार क्यों खोता रहता हूं ?   क्योंकि तुम चीजों को काफी हद तक अपनी…

थकान का कारण

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तुम जो करते हो उसे बिना रुचि के करने से थकान आती है । तुम जो कुछ करो उसमें रुचि…

बिना थके काम करना

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थके बिना काम करने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि (चाहे जो भी काम हो) उसे भगवान् के अर्पण…

आंतरिक संबंध

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यदि किसी को निकट आंतरिक संबंध प्राप्त हो तो वह माताजी को सदैव अपने पास और अंदर तथा चारों ओर…

‘समय’ मित्र कैसे होता है ?

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जब तुम अधीर हो उठो और अपने-आपसे कहो : "आह, मुझे यह करने में सफल होना चाहिये। लेकिन मैं यह…

कुछ भी अंतिम नहीं 

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​तुम्हें चीजों को उसी तरह बढ़ने देना चाहिये जैसे प्रकृति में पौधे बढ़ते हैं। हम उनके समय से पहले उन…

समस्त धन-सम्पदा

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समस्त धन-सम्पदा भगवान् की है, भगवान् उसे जीवित प्राणियों को उधार देते है और स्वभावत: उसे उन्हें भगवान् के पास…

सांसारिक जीवन का त्याग

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सत्ता के पूर्ण आध्यात्मिक जीवन के लिये तैयार हों जाने से पहले सांसारिक जीवन का त्याग करना लाभदायी नही होता।…

कुछ न चाहो

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अपने समस्त ह्रदय और समस्त शक्ति के साथ स्वयं को भगवान के हाथों में सौंप दो। कोई शर्त न रखो,…

उचित वृत्ति

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कुछ ऐसे अति-धर्मशील लोग होते है जो अपने सामने समस्याएँ  तो खड़ी कर लेते हैं, पर उन्हें सुलझाना उनके लिये…