प्रत्येक कलाकार के अन्दर उसके प्राणिक-भौतिक भागों में सार्वजनिक व्यक्ति की कोई चीज़ होती है जो उसे श्रोता के प्रोत्साहन,…
आत्म-अनुशासन के बिना कोई जीवन सफल नहीं हो सकता । संदर्भ : माताजी के वचन (भाग-२)
जब तुम भौतिक जीवन की कोई चीज़ बदलना चाहो, चाहे वह चरित्र हो या अंगो की संचालन-क्रिया हो या आदतें,…
सच्ची बीमारी भय हैं । भय को दूर फेंक दो तो बीमारी चली जायेगी। संदर्भ : माताजी के वचन (भाग-३)
ठीक करना और मिटाना, दोनों सम्भव हैं लेकिन दोनों हालतों में, यद्यपि अलग-अलग मात्रा में, स्वभाव और चरित्र के रूपान्तर…
हमेशा भगवान की उपस्थिति में ही निवास करो; इस अनुभूति में रहो कि यह उपस्थिति ही तम्हारी प्रत्येक क्रिया को…
न केवल अपनी आन्तरिक एकाग्रता में बल्कि अपनी बाह्य क्रियाओं व गतिविधियों में भी तुम्हें उचित मनोवृत्ति अपनानी चाहिये। यदि…
योग का अर्थ संयुक्त होना है तथा योग का सम्पूर्ण लक्ष्य मानव आत्मा की सर्वोच्च सत्ता के साथ तथा मानवता…
हमारा लक्ष्य न तो राजनीतिक है, न सामाजिक, वह आध्यात्मिक लक्ष्य है। हम जो चाहते हैं वह वैयक्तिक चेतना का…
केवल एक ही चीज़ है जिसके बारे में मुझे पूरा विश्वास है, और वह है, मैं कौन हूँ। श्रीअरविंद भी यह…