भगवती माँ की कृपा

% दिन पहले
श्रीअरविंद

तुम्हारी श्रद्धा, निष्ठा और समर्पण जितने अधिक पूर्ण होंगे, भगवती मां की कृपा और रक्षा भी उतनी ही अधिक रहेगी। और…

श्रीमाँ का कार्य

% दिन पहले

भगवान् ही अधिपति और प्रभु हैं-आत्म-सत्ता निष्क्रिय है, यह सर्वदा शान्त साक्षी बनी रहती है और सभी वस्तुओं का समर्थन…

भगवान की आशा

% दिन पहले

मधुर माँ, स्त्रष्टा ने इस जगत और मानवजाति की रचना क्यों की है? क्या वह हमसे कुछ आशा रखता है…

जीवन का उद्देश्य

% दिन पहले

अगर चेतना के विकास को जीवन का मुख्य उद्देश्य मान लिया जाये तो बहुत-सी कठिनाइयों को अपना समाधान मिल जायेगा।…

दुश्मन को खदेड़ना

% दिन पहले

दुश्मन को खदेड़ने का सबसे अच्छा तरीक़ा है उसके मुँह पर हँसना! तुम उसके साथ कई-कई दिनों तक भिड़ते और…

आलोचना की आदत

% दिन पहले

आलोचना की आदत-अधिकांशतः अनजाने में की गयी दूसरों की आलोचना-सभी तरह की कल्पनाओं, अनुमानों, अतिशयोक्तियों, मिथ्या व्याख्याओं, यहां तक कि…

कृतज्ञता

% दिन पहले

कृतज्ञ होने का अर्थ है : इस अद्भुत भागवत कृपा को कभी न भूलना जो हर एक को–चाहे वह कैसा…

अनुशासन

% दिन पहले

व्यक्ति को अपने स्वभाव और अपनी दुर्बलताओं के अनुसार अपने लिए एक अनुशासन बना लेना चाहिये जिसका बिना हर-फेर किये…

भागवत मुस्कान का ध्यान

% दिन पहले

अहंकार के खेल के बिना कोई संघर्ष न होंगे और अगर प्राण में नाटक करने की वृत्ति न हो तो…

मनोबल

% दिन पहले

अधिक-से-अधिक सुंदर विचारों से भी हम प्रगति नहीं करते यदि हमारे अंदर उन्हें आधिकाधिक उदात्त भावों, उदात्त संवेदनाओं और अधिक…