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हमारा लक्ष्य

हमारा लक्ष्य न तो राजनीतिक है, न सामाजिक, वह आध्यात्मिक लक्ष्य है। हम जो चाहते हैं वह वैयक्तिक चेतना का रूपान्तर है, शासन या सरकार का परिवर्तन नहीं। उस लक्ष्य तक पहुँचने के लिए हम किसी मानव साधन पर विश्वास नहीं करते, चाहे वह कितना भी शक्तिशाली क्यों न हो। हमें केवल ‘भागवत कृपा’ पर विश्वास है।

संदर्भ : माताजी के वचन (भाग-२)

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