जब तुम सोने के पहले एकाग्र होते हो तब तुम नींद में भागवत शक्ति के सम्पर्क में रहते हो। लेकिन जब तुम पहले एकाग्र हुए बिना गहरी नींद में चलें जाते हो तो तुम निश्चेतना में डूब जाते हो और यह नींद आराम देने की जगह ज़्यादा थकाने वाली होती है और इस मंद्ता में से निकलना मुश्किल होता है।
संदर्भ : श्रीमातृवाणी (खण्ड-१६)
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