केवल थे सुरक्षित जिन्होने सँजोये रखा भगवान को अपने हृदय में अपने:
साहस की ढाल और श्रद्धा का लेकर कृपाण, उन्हें चलना होगा ,
भुजाएँ प्रहार के लिए तत्पर, आँखें करें शत्रु की टोह,
करते हुये निक्षेपित बरछा सामने ध्यान से ,
प्रकाश की सेना के नायक और सैनिक।
संदर्भ : ‘सावित्री’
यदि तुम्हारें ह्रदय और तुम्हारी आत्मा में आध्यात्मिक परिवर्तन के लिए सच्ची अभीप्सा jहै, तब…
जब शारीरिक अव्यवस्था आये तो तुम्हें डरना नहीं चाहिये, तुम्हें उससे निकल भागना नहीं चाहिये,…
आश्रम में दो तरह के वातावरण हैं, हमारा तथा साधकों का। जब ऐसे व्यक्ति जिनमें…
.... मनुष्य का कर्म एक ऐसी चीज़ है जो कठिनाइयों और परेशानियों से भरी हुई…
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