केवल थे सुरक्षित जिन्होने सँजोये रखा भगवान को अपने हृदय में अपने:
साहस की ढाल और श्रद्धा का लेकर कृपाण, उन्हें चलना होगा ,
भुजाएँ प्रहार के लिए तत्पर, आँखें करें शत्रु की टोह,
करते हुये निक्षेपित बरछा सामने ध्यान से ,
प्रकाश की सेना के नायक और सैनिक।
संदर्भ : ‘सावित्री’
तुम्हारी श्रद्धा, निष्ठा और समर्पण जितने अधिक पूर्ण होंगे, भगवती मां की कृपा और रक्षा भी…
भगवान् ही अधिपति और प्रभु हैं-आत्म-सत्ता निष्क्रिय है, यह सर्वदा शान्त साक्षी बनी रहती है…
अगर चेतना के विकास को जीवन का मुख्य उद्देश्य मान लिया जाये तो बहुत-सी कठिनाइयों…
दुश्मन को खदेड़ने का सबसे अच्छा तरीक़ा है उसके मुँह पर हँसना! तुम उसके साथ…
आलोचना की आदत-अधिकांशतः अनजाने में की गयी दूसरों की आलोचना-सभी तरह की कल्पनाओं, अनुमानों, अतिशयोक्तियों,…