यह तेरे विचरण की धरती एक सीमा है जिसने स्वर्ग को विलग कर दिया है;
यह तेरे जीवन-यापन की विधि उस ज्योति को जो तू स्वयं है ढक लेती है।
संदर्भ : सावित्री
तुम्हारा अवलोकन बहुत कच्चा है। ''अन्दर से'' आने वाले सुझावों और आवाजों के लिए कोई…
क्षण- भर के लिए भी यह विश्वास करने में न हिचकिचाओ कि श्रीअरविन्द नें परिवर्तन…
सबसे पहले हमें सचेतन होना होगा, फिर संयम स्थापित करना होगा और लगातार संयम को…
प्रेम और स्नेह की प्यास मानव आवश्यकता है, परंतु वह तभी शांत हो सकती है…