मेरे नाम से तुम्हें जो कुछ सुनाया जाता है उसके बारे में सावधान रहा करो। वह बात जिस भाव से कही जाती है वह गुम हो जाता है।
संदर्भ : श्रीमातृवाणी (खण्ड-१६)
भगवान को अभिव्यक्त करने वाली किसी भी चीज को मान्यता देने में लोग इतने अनिच्छुक…
आश्रम में दो तरह के वातावरण हैं, हमारा तथा साधकों का। जब ऐसे व्यक्ति जिसमें…
मनुष्य-जीवन के अधिकांश भाग की कृत्रिमता ही उसकी अनेक बुद्धमूल व्याधियों का कारण है, वह…
श्रीअरविंद हमसे कहते हैं कि सभी परिस्थितियों में प्रेम को विकीरत करते रहना ही देवत्व…