मैं सदा अधिक सावधान रहने की कोशिश करता हूँ, लेकिन मेरे हाथ से चीज़ें ख़राब हो जाती हैं ।
हाँ, यह प्रायः होता है; लेकिन तुम्हें शांति को आधिकाधिक अंदर बुलाना चाहिये और अपने शरीर के कोषाणुओं में प्रवेश करने देना चाहिये; तब फूहड़पन के सुझावों का कोई असर न रहेगा।
संदर्भ : श्रीमातृवाणी (खण्ड-१६)
सबसे पहले हमें सचेतन होना होगा, फिर संयम स्थापित करना होगा और लगातार संयम को…
प्रेम और स्नेह की प्यास मानव आवश्यकता है, परंतु वह तभी शांत हो सकती है…
पत्थर अनिश्चित काल तक शक्तियों को सञ्चित रख सकता है। ऐसे पत्थर हैं जो सम्पर्क की…