मैं सदा अधिक सावधान रहने की कोशिश करता हूँ, लेकिन मेरे हाथ से चीज़ें ख़राब हो जाती हैं ।
हाँ, यह प्रायः होता है; लेकिन तुम्हें शांति को आधिकाधिक अंदर बुलाना चाहिये और अपने शरीर के कोषाणुओं में प्रवेश करने देना चाहिये; तब फूहड़पन के सुझावों का कोई असर न रहेगा।
संदर्भ : श्रीमातृवाणी (खण्ड-१६)
जो अपने हृदय के अन्दर सुनना जानता है उससे सारी सृष्टि भगवान् की बातें करती…
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सच्चा आराम आन्तरिक जीवन में होता है, जिसके आधार में होती है शांति, नीरवता तथा…