उचित रूप में की गयी सम्मिलित एकाग्रता एक महान शक्ति हो सकती है। एक प्राचीन कहावत है कि यदि एक दर्जन सच्चे मनुष्य अपने संकल्प और अभीप्सा को एक करके भगवान को पुकारें तो भगवान प्रकट बिना न रह सकेंगे। परंतु उनका संकल्प एकनिष्ठ होना चाहिये, अभीप्सा सच्ची होनी चाहिये। हो सकता है कि इस प्रकार का प्रयास करने वाले किसी प्रकार की जड़ता के वश अथवा किसी भ्रांत या विकृत इच्छा के कारण एक हो गए हों, और तब परिणाम विनाशकारी हो सकता है ।
संदर्भ : प्रश्न और उत्तर (१९२९-१९३१)
भगवान के प्रति आज्ञाकारिता में सरलता के साथ सच्चे रहो - यह तुम्हें रूपांतर के…
अधिकतर लोग कार्यों को इसलिये करते हैं कि वे उन्हें करने पड़ते है, इसलिये नहीं…
मधुर माँ, जब श्रीअरविंद चेतना के परिवर्तन की बात करते हैं तो उनका अर्थ क्या…