जिस प्रकार किसी तारे का प्रकाश उस तारे के मिट जाने के सैकड़ों वर्ष बाद पृथ्वी पर पहुंचता है, उसी तरह जो घटना आदिकाल में ब्रह्म के अंदर पहले ही पूर्ण हो चुकी थी वह अब हमारे भौतिक अनुभव में अभिव्यक्त होती है ।
संदर्भ : विचारमाला और सूत्रावली
सबसे पहले हमें सचेतन होना होगा, फिर संयम स्थापित करना होगा और लगातार संयम को…
प्रेम और स्नेह की प्यास मानव आवश्यकता है, परंतु वह तभी शांत हो सकती है…
पत्थर अनिश्चित काल तक शक्तियों को सञ्चित रख सकता है। ऐसे पत्थर हैं जो सम्पर्क की…