साहसी बनो और अपने बारे में इतना अधिक न सोचो। तुम दु:खी और असंतुष्ट इसलिए रहते हो क्योंकि तुम अपने छोटे-से अहंकार को अपनी तन्मयता का केंद्र बना लेते हो। सभी बीमारियों का बड़ा इलाज है अपने-आपको भूल जाना ।
संदर्भ : श्रीमातृवाणी (खण्ड-१६)
तुम जिस चरित्र-दोष की बात कहते हो वह सर्वसामान्य है और मानव प्रकृति में प्रायः सर्वत्र…
भगवान के प्रति आज्ञाकारिता में सरलता के साथ सच्चे रहो - यह तुम्हें रूपांतर के…
अधिकतर लोग कार्यों को इसलिये करते हैं कि वे उन्हें करने पड़ते है, इसलिये नहीं…
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