श्रेणियाँ श्री माँ के वचन

सच्ची विनम्रता

अगर तुम किसी सच्चे वैज्ञानिक से मिलो जिसने कठोर परिश्रम किया हो, तो वह तुमसे कहेगा : “हम कुछ नहीं जानते। हम कल जो जानेंगे उसकी तुलना में आज जो जानते हैं वह कुछ भी नहीं है। इस वर्ष को खोजें अगले वर्ष पीछे छूट जायेंगी।” सच्चे वैज्ञानिक को मालूम है कि वह जितनी चीजें जानता है उनको अपेक्षा वे चीजें बहुत ज्यादा है जिन्हें वह नहीं जानता। और यह बात मानव क्रिया-कलाप की सभी शाखाओं के बारे में सच्ची है। मैंने किसी भी सम्माननीय वैज्ञानिक को घमण्डी नहीं देखा। मैंने कभी ऐसा व्यक्ति नहीं देखा, जिसका कुछ मूल्य हो, जो कहता हो : “मैं सब कुछ जानता हूं।” मैंने जिन लोगों को देखा है उन्होंने हमेशा स्वीकार किया है : “संक्षेप में, मैं कुछ नहीं जानता।” उसने जो कुछ किया है, उसे जो कुछ मिला है उस सबको चर्चा करने के बाद बह शान्ति से कहता है : “आखिर, में कुछ नहीं जानता।”

संदर्भ : प्रश्न और उत्तर १९५३

शेयर कीजिये

नए आलेख

प्रार्थना

(जो लोग भगवान की  सेवा  करना चाहते हैं  उनके लिये एक प्रार्थना ) तेरी जय…

% दिन पहले

आत्मा के प्रवेश द्वार

यदि तुम्हारें ह्रदय और तुम्हारी आत्मा में आध्यात्मिक परिवर्तन के लिए सच्ची अभीप्सा jहै, तब…

% दिन पहले

शारीरिक अव्यवस्था का सामना

जब शारीरिक अव्यवस्था आये तो तुम्हें डरना नहीं चाहिये, तुम्हें उससे निकल भागना नहीं चाहिये,…

% दिन पहले

दो तरह के वातावरण

आश्रम में दो तरह के वातावरण हैं, हमारा तथा साधकों का। जब ऐसे व्यक्ति जिनमें…

% दिन पहले

जब मनुष्य अपने-आपको जान लेगा

.... मनुष्य का कर्म एक ऐसी चीज़ है जो कठिनाइयों और परेशानियों से भरी हुई…

% दिन पहले

दृढ़ और निरन्तर संकल्प पर्याप्त है

अगर श्रद्धा हो , आत्म-समर्पण के लिए दृढ़ और निरन्तर संकल्प हो तो पर्याप्त है।…

% दिन पहले