सच्चा आराम आन्तरिक जीवन में होता है, जिसके आधार में होती है शांति, नीरवता तथा कामना की अनुपस्थिति। इसके सिवाय सचमुच और कोई आराम नहीं है – क्योंकि इसके बिना शरीर की मशीन -चाहे तुम चाहो या न चाहो – चलती ही रहती है। आन्तरिक मुक्ति ही सच्चा उपचार है ।
संदर्भ : श्रीअरविंद के पत्र (भाग-४)
जो अपने हृदय के अन्दर सुनना जानता है उससे सारी सृष्टि भगवान् की बातें करती…
‘भागवत कृपा’ के सामने कौन योग्य है और कौन अयोग्य? सभी तो उसी एक दिव्य…
जब शारीरिक अव्यवस्था आये तो तुम्हें डरना नहीं चाहिये, तुम्हें उससे निकल भागना नहीं चाहिये,…