प्रश्न -कार्य के समय व्यर्थ के विचार घुस आतें है और बाहरी और भीतरी सत्ताओं के संपर्क में बाधा डालते हैं । ऐसा कौन सी विशेष कठिनाई के कारण होता है ?
उत्तर- हर एक जिस कठिनाई का अनुभव करता है उसके अतिरिक्त कोई और विशेष कठिनाई नहीं है । वह है , आन्तरिक एकाग्रता के साथ कार्य का सामंजस्य रखना । यह ऐसी कठिनाई है जिसे जीतना होगा । लेकिन अधिकतर लोगों को इसमें समय लगता है । तुम्हें काम करने के साथ-ही-साथ आन्तरिक सत्ता का मौन भी बनाये रखना चाहिये ।
संदर्भ : श्रीअरविंद के पत्र एक युवा साधक के नाम
तुम्हारा अवलोकन बहुत कच्चा है। ''अन्दर से'' आने वाले सुझावों और आवाजों के लिए कोई…
क्षण- भर के लिए भी यह विश्वास करने में न हिचकिचाओ कि श्रीअरविन्द नें परिवर्तन…
सबसे पहले हमें सचेतन होना होगा, फिर संयम स्थापित करना होगा और लगातार संयम को…
प्रेम और स्नेह की प्यास मानव आवश्यकता है, परंतु वह तभी शांत हो सकती है…