श्रेणियाँ श्री माँ के वचन

व्यर्थ की बक-बक

स्वयं मुझे अनुभव है कि तुम शारीरिक रूप से, अपने हाथों से काम करते हुए भी पूरी तरह ध्यानस्थ और भगवान के साथ ऐक्य में रह सकते हो। लेकिन स्वभावतः इसके लिए कुछ अभ्यास की जरूरत होती है। इसके लिए सबसे महत्वपूर्ण चीज़ जिससे बचना चाहिये वह है, व्यर्थ की बक-बक । काम नहीं, व्यर्थ की बक बक हमें भगवान से दूर ले जाती हैं ।

संदर्भ : श्रीमातृवाणी (खंड-१६)

शेयर कीजिये

नए आलेख

“यह रही में।”

प्रभो, मैं तेरे सम्मुख हूं, दिव्य ऐक्य की धधकती अग्नि में प्रज्वलित हवि की तरह…

% दिन पहले

श्रीमाँ की सलाह

हमेशा भगवान् की उपस्थिति में ही निवास करो इस अनुभूति में रहो कि यह उपस्थिति…

% दिन पहले

भगवान पर भरोसा

मनुष्य को भगवान पर भरोसा रखना, उन पर निर्भर होना चाहिए और साथ-साथ कोई उपयुक्त…

% दिन पहले

प्रगति का मापदण्ड

मधुर मां, हम यह कैसे जान सकते हैं कि हम व्यक्तिगत और सामुदायिक रूप में…

% दिन पहले

पिछले कर्म

क्या पिछले कर्म साधना के मार्ग में नहीं आयेंगे ? तुम भूतकाल में जो कुछ…

% दिन पहले

ज्योतिर्मय वातावरण

.... जब तुम अच्छे हो, जब तुम उदार हो, महान, निःस्वार्थ और परोपकारी हो तो…

% दिन पहले