यदि व्यक्ति यह अनुभव करे कि उसका इस जीवन का कार्य समाप्त हो गया है और अब भेंट देने के लिए उसके पास और कुछ नहीं बचा तो क्या एक लक्ष्यहीन अस्तित्व को घसीटने की अपेक्षा मर कर कर दुबारा जन्म लेना अधिक अच्छा नहीं है ?
यह वह प्रश्न है जो एक असंतुष्ट अहं अपने-आपसे उस समय पूछता है जब उसे लगता है कि वस्तुएँ उसकी इच्छानुसार नहीं चल रहीं ।
किन्तु जो व्यक्ति भगवान का है और सत्य में ही निवास करना चाहता है वह यह जानता है कि भगवान उसे पृथ्वी पर तब तक रखेंगे जब तक वह उनकी दृष्टि में पृथ्वी पर उपयोगी होगा, जब पृथ्वी पर उसके करने लायक कुछ न रहेगा तो वे उसे हटा देंगे। अतएव, यह प्रश्न उठ ही नहीं सकता। और तब व्यक्ति भगवान की सर्वोच्च बुद्धिमत्ता की निश्चयता में शांतिपूर्वक निवास करेगा।
संदर्भ : विचार और सूत्र के प्रसंग में
भगवान मुझसे क्या चाहते हैं ? वे चाहते हैं कि पहले तुम अपने-आपको पा लो,…
सूर्यालोकित पथ का ऐसे लोग ही अनुसरण कर सकते हैं जिनमें समर्पण की साधना करने…
एक चीज़ के बारे में तुम निश्चित हो सकते हो - तुम्हारा भविष्य तुम्हारें ही…
सभी खिन्नता और विषाद को विरोधी शक्तियाँ ही पैदा करती हैं, उन्हें तुम्हारें ऊपर उदासी…