विश्व की अंतिम सीमा तक … बल्कि उसके भी परे तक अपना विस्तार करो।
प्रगति की समस्त आवश्यकताओं को हमेशा अपने ऊपर ले लो और उनका समाधान ऐक्य के आनन्द में करो । तब तुम भागवत हो जाओगे।
संदर्भ : माताजी के वचन (भाग-२)
"आध्यात्मिक जीवन की तैयारी करने के लिए किस प्रारम्भिक गुण का विकास करना चाहिये?" इसे…
शुद्धि मुक्ति की शर्त है। समस्त शुद्धीकरण एक छुटकारा है, एक उद्धार है; क्योंकि यह…
मैं मन में श्रीअरविंद के प्रकाश को कैसे ग्रहण कर सकता हूँ ? अगर तुम…
...पूजा भक्तिमार्ग का प्रथम पग मात्र है। जहां बाह्य पुजा आंतरिक आराधना में परिवर्तित हो…