प्र) आध्यात्मिक पूर्णता में क्या विनोदप्रियता का कोई स्थान है ?

उ) अगर कोई सिद्ध कभी नहीं हँसता तो वह उसकी अपूर्णता है ।

संदर्भ : श्रीअरविंद के पत्र

 

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