श्रेणियाँ संस्मरण

लापरवाही

आश्रम में जब कपड़े धोने की व्यवस्था शुरू हुई कुछ धुले हुए कपड़े माताजी के देखने के लिए उनके पास लाये जाते थे । एक दिन धुले कपड़ों की बड़ी -सी गठरी उनके सामने लाकर रखी गयी । माताजी ने यूं ही गठरी के बीच से एक कपड़ा निकाला और उसपर एक भद्दा सा दाग लगा था । जो कपड़े दिखा रहा था वह काफी घबरा गया, परंतु यह बात थी बड़ी शिक्षाप्रद कि माताजी का हाथ सीधा उसी कपड़े पर गया जिसमें दाग था ।

संदर्भ : माताजी की झाँकियाँ 

शेयर कीजिये

नए आलेख

रूपांतर का मार्ग

भगवान के प्रति आज्ञाकारिता में सरलता के साथ सच्चे रहो - यह तुम्हें रूपांतर के…

% दिन पहले

सच्चा ध्यान

सच्चा ध्यान क्या है ? वह भागवत उपस्थिती पर संकल्प के साथ सक्रिय रूप से…

% दिन पहले

भगवान से दूरी ?

स्वयं मुझे यह अनुभव है कि तुम शारीरिक रूप से, अपने हाथों से काम करते…

% दिन पहले

कार्य के प्रति मनोभाव

अधिकतर लोग कार्यों को इसलिये करते हैं कि वे उन्हें करने पड़ते है, इसलिये नहीं…

% दिन पहले

चेतना का परिवर्तन

मधुर माँ, जब श्रीअरविंद चेतना के परिवर्तन की बात करते हैं तो उनका अर्थ क्या…

% दिन पहले

जीवन उत्सव

यदि सचमुच में हम, ठीक से जान सकें जीवन के उत्सव के हर विवरण को,…

% दिन पहले