माँ, क्या अपने अन्दर रोगमुक्त करने की क्षमता विकसित करना सम्भव है?
सिद्धान्त रूप में, सचेतन रूप से दिव्य शक्ति के साथ एक होने से सब । कुछ सम्भव है। लेकिन उपाय खोजना होगा और यह व्यक्ति और स्थिति पर निर्भर करता है। पहली शर्त है, ऐसी भौतिक प्रकृति का होना जो औरों से ऊर्जा खींचने की जगह ऊर्जा देती है। दूसरी अनिवार्य शर्त है, यह जानना कि ऊपर से, अक्षय, निवैयक्तिक स्रोत से ऊर्जा को कैसे खींचा जाये।
संदर्भ : श्रीमातृवाणी (खण्ड-१६)
तुम्हारी श्रद्धा, निष्ठा और समर्पण जितने अधिक पूर्ण होंगे, भगवती मां की कृपा और रक्षा भी…
भगवान् ही अधिपति और प्रभु हैं-आत्म-सत्ता निष्क्रिय है, यह सर्वदा शान्त साक्षी बनी रहती है…
अगर चेतना के विकास को जीवन का मुख्य उद्देश्य मान लिया जाये तो बहुत-सी कठिनाइयों…
दुश्मन को खदेड़ने का सबसे अच्छा तरीक़ा है उसके मुँह पर हँसना! तुम उसके साथ…
आलोचना की आदत-अधिकांशतः अनजाने में की गयी दूसरों की आलोचना-सभी तरह की कल्पनाओं, अनुमानों, अतिशयोक्तियों,…