हमारे जीवनों के रूप का आकार गढ़ने वाली ये घटनाएं
अवचेतना के स्पन्दनों की एक शून्यमात्र हैं
जिन्हें हम कदाचित् ही अनुभव कर पाते या आश्चर्यचकित होते हैं,
ये एक दमित वास्तविकताओं की एक उपज हैं
जो बहुत कम हमारे संसारी दिवस में ऊपर उठ सामने आती हैं:
ये आत्मा के अन्तर सूर्य की गुप्त शक्तियों से उत्पन्न होती हैं
जो आपात्-काल में अन्तर में सुरंग खोद प्रकट हो जाती हैं।
संदर्भ : “सावित्री”
तुम्हारी श्रद्धा, निष्ठा और समर्पण जितने अधिक पूर्ण होंगे, भगवती मां की कृपा और रक्षा भी…
भगवान् ही अधिपति और प्रभु हैं-आत्म-सत्ता निष्क्रिय है, यह सर्वदा शान्त साक्षी बनी रहती है…
अगर चेतना के विकास को जीवन का मुख्य उद्देश्य मान लिया जाये तो बहुत-सी कठिनाइयों…
दुश्मन को खदेड़ने का सबसे अच्छा तरीक़ा है उसके मुँह पर हँसना! तुम उसके साथ…
आलोचना की आदत-अधिकांशतः अनजाने में की गयी दूसरों की आलोचना-सभी तरह की कल्पनाओं, अनुमानों, अतिशयोक्तियों,…