मनुष्य


श्रीअरविंद आश्रम की श्रीमाँ

यदि सारे विश्व में मनुष्य जैसा दुर्बल कोई नहीं हैं तो उस जैसा दिव्य भी नहीं है ।

संदर्भ : मातृवाणी (भाग-२)


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