भोजन अर्पण करने का तात्पर्य


श्रीअरविंद आश्रम की श्रीमाँ

‘मातृवाणी’ में आये हुए इस वाक्य से माताजी का क्या मतलब है :

“जब तुम खाते हो तब तुम्हें यह अवश्य अनुभव करना चाहिये कि स्वयं भगवान ही तुम्हारें द्वारा खा रहे है ?”

 

इसका अर्थ है भोजन अहंकार या कामना को नहीं बल्कि भगवान को अर्पण करना जो सभी क्रियाओं के पीछे विद्यमान हैं।

संदर्भ : माताजी के विषय में 


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