भूतकाल के बारे में सोचते रहना बिलकुल गलत है । सच्ची विधि तो यह याद रखना है कि भगवान की इच्छा के बिना कुछ नहीं हो सकता और हमें चुपचाप उस इच्छा के सामने झुक जाना चाहिये।
अगर पहले तुमनें भूलें की है तो यह सच्चे समर्पण के अभाव से, और भूलों को ठीक करने का एकमात्र उपाय है, सच्चा समर्पण।
संदर्भ : माताजी के वचन (भाग-२)
क्षण- भर के लिए भी यह विश्वास करने में न हिचकिचाओ कि श्रीअरविन्द नें परिवर्तन…
सबसे पहले हमें सचेतन होना होगा, फिर संयम स्थापित करना होगा और लगातार संयम को…
प्रेम और स्नेह की प्यास मानव आवश्यकता है, परंतु वह तभी शांत हो सकती है…
पत्थर अनिश्चित काल तक शक्तियों को सञ्चित रख सकता है। ऐसे पत्थर हैं जो सम्पर्क की…