भूतकाल के बारे में सोचते रहना बिलकुल गलत है । सच्ची विधि तो यह याद रखना है कि भगवान की इच्छा के बिना कुछ नहीं हो सकता और हमें चुपचाप उस इच्छा के सामने झुक जाना चाहिये।
अगर पहले तुमनें भूलें की है तो यह सच्चे समर्पण के अभाव से, और भूलों को ठीक करने का एकमात्र उपाय है, सच्चा समर्पण।
संदर्भ : माताजी के वचन (भाग-२)
जो अपने हृदय के अन्दर सुनना जानता है उससे सारी सृष्टि भगवान् की बातें करती…
‘भागवत कृपा’ के सामने कौन योग्य है और कौन अयोग्य? सभी तो उसी एक दिव्य…
सच्चा आराम आन्तरिक जीवन में होता है, जिसके आधार में होती है शांति, नीरवता तथा…