मधुर माँ,
हमें भिखारियों को पैसे देने चाहियें या नहीं ?
सुसंघठित समाज में भिखारी होना ही नहीं चाहियें। लेकिन जब तक वे हैं, तुम्हें जो ठीक लगे वही करो। देने और न देने दोनों के काफी अच्छे कारण है ।
आशीर्वाद ।
संदर्भ : श्रीमातृवाणी (खण्ड-१६)
तुम्हारी श्रद्धा, निष्ठा और समर्पण जितने अधिक पूर्ण होंगे, भगवती मां की कृपा और रक्षा भी…
भगवान् ही अधिपति और प्रभु हैं-आत्म-सत्ता निष्क्रिय है, यह सर्वदा शान्त साक्षी बनी रहती है…
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दुश्मन को खदेड़ने का सबसे अच्छा तरीक़ा है उसके मुँह पर हँसना! तुम उसके साथ…
आलोचना की आदत-अधिकांशतः अनजाने में की गयी दूसरों की आलोचना-सभी तरह की कल्पनाओं, अनुमानों, अतिशयोक्तियों,…