मधुर माँ,
स्त्रष्टा ने इस जगत और मानवजाति की रचना क्यों की है? क्या वह हमसे कुछ आशा रखता है ?
जगत ‘स्वयं वही’ है। उसकी इच्छा है कि सब कुछ – हम सब, सारा जगत और पूरा विश्व – फिर से वही होने के बारे में सचेतन हो जाये ।
संदर्भ : श्रीमातृवाणी (खण्ड १६)
तुम्हारी श्रद्धा, निष्ठा और समर्पण जितने अधिक पूर्ण होंगे, भगवती मां की कृपा और रक्षा भी…
भगवान् ही अधिपति और प्रभु हैं-आत्म-सत्ता निष्क्रिय है, यह सर्वदा शान्त साक्षी बनी रहती है…
अगर चेतना के विकास को जीवन का मुख्य उद्देश्य मान लिया जाये तो बहुत-सी कठिनाइयों…
दुश्मन को खदेड़ने का सबसे अच्छा तरीक़ा है उसके मुँह पर हँसना! तुम उसके साथ…
आलोचना की आदत-अधिकांशतः अनजाने में की गयी दूसरों की आलोचना-सभी तरह की कल्पनाओं, अनुमानों, अतिशयोक्तियों,…