मधुर माँ,
स्त्रष्टा ने इस जगत और मानवजाति की रचना क्यों की है? क्या वह हमसे कुछ आशा रखता है ?
जगत ‘स्वयं वही’ है। उसकी इच्छा है कि सब कुछ – हम सब, सारा जगत और पूरा विश्व – फिर से वही होने के बारे में सचेतन हो जाये ।
संदर्भ : श्रीमातृवाणी (खण्ड १६)
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