श्रेणियाँ श्री माँ के वचन

भगवान का मार्ग – कठिन क्यों ?

मधुर माँ ,

भगवान ने अपना मार्ग इतना कठिन क्यों बनाया है ? वे चाहें तो उसे सरल बना सकते हैं, है न ?

सबसे पहले व्यक्ति को यह जानना चाहिये कि बुद्धि और मन भगवान के बारें में कुछ भी नहीं समझ सकते। न तो यह कि वे क्या करते हैं, न यह कि वे कैसे करते हैं और यह तो बिलकुल ही नहीं कि  वे क्यों करते हैं। भगवान के बारे में थोड़ा-बहुत जानने के लिए व्यक्ति को विचार से ऊपर उठना चाहिये और चैत्य चेतना में, अंतरात्मा की चेतना में या आध्यात्मिक चेतना में प्रवेश करना चाहिये।

जिन लोगों को अनुभूति प्राप्त हो चुकी है उन्होंने हमेशा यही कहा है कि  पथ की कठिनाइयाँ और दुःख-दर्द वास्तविक नहीं है बल्कि मानव अज्ञान की रचनाएँ है और जैसे ही व्यक्ति इस अज्ञान से बाहर हो जाता है वैसे ही कठिनाइयों से भी बाहर हो जाता है। भगवान के साथ सचेतन सम्पर्क होने के साथ ही साथ मनुष्य अनन्य आनंद की जिस स्थिति में निवास करता है उसके बारे में तो कुछ कहा ही नहीं जा सकता ।

तो उनके अनुसार इस प्रश्न का कोई वास्तविक आधार ही नहीं है और यह पूछा ही नहीं जा सकता ।

संदर्भ : श्रीमातृवाणी (खण्ड-१६)

शेयर कीजिये

नए आलेख

आध्यात्मिक जीवन की तैयारी

"आध्यात्मिक जीवन की तैयारी करने के लिए किस प्रारम्भिक गुण का विकास करना चाहिये?" इसे…

% दिन पहले

उदार विचार

मैंने अभी कहा था कि हम अपने बारे में बड़े उदार विचार रखते हैं और…

% दिन पहले

शुद्धि मुक्ति की शर्त है

शुद्धि मुक्ति की शर्त है। समस्त शुद्धीकरण एक छुटकारा है, एक उद्धार है; क्योंकि यह…

% दिन पहले

श्रीअरविंद का प्रकाश

मैं मन में श्रीअरविंद के प्रकाश को कैसे ग्रहण कर सकता हूँ ? अगर तुम…

% दिन पहले

भक्तिमार्ग का प्रथम पग

...पूजा भक्तिमार्ग का प्रथम पग मात्र है। जहां बाह्य पुजा आंतरिक आराधना में परिवर्तित हो…

% दिन पहले

क्या होगा

एक परम चेतना है जो अभिव्यक्ति पर शासन करती हैं। निश्चय ही उसकी बुद्धि हमारी…

% दिन पहले