माँ, मुझे अधिक शांत बनाओ ।
हर बार जब तुम्हें बेचैनी का अनुभव हो तो तुम्हें बाहर आवाज़ दिये बिना,साथ ही मेरे बारे में सोचते हुए, अपने अन्दर बोलते हुये यह दोहराना चाहिये:
“शांति, शांति, हे मेरे हृदय!”
तुम इसे लगातार कहो और परिणाम से तुम्हें खुशी होगी।
संदर्भ : श्रीमातृवाणी (खण्ड-१६)
"आध्यात्मिक जीवन की तैयारी करने के लिए किस प्रारम्भिक गुण का विकास करना चाहिये?" इसे…
शुद्धि मुक्ति की शर्त है। समस्त शुद्धीकरण एक छुटकारा है, एक उद्धार है; क्योंकि यह…
मैं मन में श्रीअरविंद के प्रकाश को कैसे ग्रहण कर सकता हूँ ? अगर तुम…
...पूजा भक्तिमार्ग का प्रथम पग मात्र है। जहां बाह्य पुजा आंतरिक आराधना में परिवर्तित हो…