किसी अन्य मनुष्य के प्रभाव के प्रति खुले रहना हमेशा दुखद होता है। तुम्हें भगवान के सिवा और किसी के प्रभाव को अपने अन्दर न आने देना चाहिये ।
संदर्भ : माताजी के वचन (भाग-२)
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केवल अपने लिए अतिमानस को प्राप्त करना मेरा अभिप्राय बिल्कुल नहीं है - मैं अपने…
मधुर माँ , जल्दी सोना और जल्दी उठना क्यों ज्यादा अच्छा है ? सूर्यास्त के…