श्रेणियाँ श्री माँ के वचन

प्रार्थना और नियति

कौन कहता है कि एक पर्याप्त सच्ची अभीप्सा, एक पर्याप्त तीव्र प्रार्थना, उन्मीलन के मार्ग को बदलने में सक्षम नहीं है?

इसका अर्थ है कि सब कुछ सम्भव है। तो, तुम्हारे अन्दर काफी अभीप्सा होनी चाहिये और प्रार्थना काफी तीव्र होनी चाहिये। परन्तु यह तो मानव प्रकृति को सौंपा ही गया है। यह भागवत कृपा के अद्भुत उपहारों में से एक है जो केवल मानव प्रकृति को मिला है, लेकिन, मनुष्य उसका उपयोग करना नहीं जानता।

सारी बात यहां पहुंचती है कि क्षैतिज दिशा में अधिक-से-अधिक दृढ़ नियति के होते हुए, यदि व्यक्ति इन क्षैतिज लकीरों को पार करके चेतना
के उच्चतम ‘बिन्दु’ तक पहुंच सके तो वह उन चीजों को बदल सकता है जो बाहरी रूप में पूरी तरह नियत मालूम होती थीं। इसलिए तुम उसे जो
नाम देना चाहो दे लो, पर है यह एक प्रकार से निरपेक्ष नियति और निरपेक्ष स्वाधीनता का संयोग। तुम जिस तरह चाहो अपने-आपको उसमें
से बाहर खींच सकते हो, पर बात है ऐसी ही।…

जब तुम कहते हो “नियति” और जब तुम कहते हो “स्वतन्त्रता” तो तुम केवल शब्द बोलते हो और यह सब बहुत अपूर्ण, बहुत मोटा-मोटा,
बहुत कमजोर वर्णन है उस चीज का जो वास्तव में तुम्हारे अन्दर, तुम्हारे चारों ओर, सब जगह है। और यह जानना शुरू करने के लिए कि विश्व
क्या है, तुम्हें अपने मानसिक सूत्रों से बाहर निकलना होगा, अन्यथा तुम कभी कुछ न समझ सकोगे।

सच कहा जाये तो, यदि तुम केवल एक क्षण, एक छोटा-सा क्षण इस चरम अभीप्सा में या इस काफी तीव्र प्रार्थना में जी लो तो तुम घण्टों ध्यान
करके जितना जान सकते हो उससे कहीं अधिक जान लोगे।….

 

संदर्भ : प्रश्न और उत्तर १९५३

शेयर कीजिये

नए आलेख

आत्मा के प्रवेश द्वार

यदि तुम्हारें ह्रदय और तुम्हारी आत्मा में आध्यात्मिक परिवर्तन के लिए सच्ची अभीप्सा jहै, तब…

% दिन पहले

शारीरिक अव्यवस्था का सामना

जब शारीरिक अव्यवस्था आये तो तुम्हें डरना नहीं चाहिये, तुम्हें उससे निकल भागना नहीं चाहिये,…

% दिन पहले

दो तरह के वातावरण

आश्रम में दो तरह के वातावरण हैं, हमारा तथा साधकों का। जब ऐसे व्यक्ति जिनमें…

% दिन पहले

जब मनुष्य अपने-आपको जान लेगा

.... मनुष्य का कर्म एक ऐसी चीज़ है जो कठिनाइयों और परेशानियों से भरी हुई…

% दिन पहले

दृढ़ और निरन्तर संकल्प पर्याप्त है

अगर श्रद्धा हो , आत्म-समर्पण के लिए दृढ़ और निरन्तर संकल्प हो तो पर्याप्त है।…

% दिन पहले

देशभक्ति की भावना तथा योग

देशभक्ति की भावनाएँ हमारे योग की विरोधी बिलकुल नहीं है, बल्कि अपनी मातृभूमि की शक्ति…

% दिन पहले