एक आश्रमवासी काम से बहुत कतराता था, माताजी ने उसके नाम एक पत्र भेजा ।
परिश्रम के बिना जीवन नहीं होता । अगर तुम परिश्रम से बचना चाहो तो तुम्हें अस्तित्व से बाहर निकलना होगा। उसे प्राप्त करने का एकमात्र उपाय है निर्वाण – और वह उपाय, उसका अनुसरण, सभी परिश्रमों में सबसे कठिन है ।
संदर्भ : श्रीमातृवाणी (खण्ड-१६)
यदि तुम्हारें ह्रदय और तुम्हारी आत्मा में आध्यात्मिक परिवर्तन के लिए सच्ची अभीप्सा jहै, तब…
जब शारीरिक अव्यवस्था आये तो तुम्हें डरना नहीं चाहिये, तुम्हें उससे निकल भागना नहीं चाहिये,…
आश्रम में दो तरह के वातावरण हैं, हमारा तथा साधकों का। जब ऐसे व्यक्ति जिनमें…
.... मनुष्य का कर्म एक ऐसी चीज़ है जो कठिनाइयों और परेशानियों से भरी हुई…
अगर श्रद्धा हो , आत्म-समर्पण के लिए दृढ़ और निरन्तर संकल्प हो तो पर्याप्त है।…