श्रेणियाँ श्री माँ के वचन

निराशा से दूर रहो

जीवन की परिस्थितियां चाहे जैसी हों, तुम्हें सदैव निराशा से दूर रहने की सावधानी बरतनी चाहिये और फिर दुःखी, उदास और हताश रहने की यह आदत सचमुच परिस्थितियों पर निर्भर नहीं होती, बल्कि यह प्रकृति में विश्वास न होने से उत्पन्न होती है । जिस व्यक्ति में विश्वास होता है, चाहे वह केवल अपने ऊपर ही क्यों न हो, वह सब कठिनाइयों का, सब परिस्थितियों का, अत्यधिक विपरीत परिस्थितियों कभी, बिना निरुत्साहित या निराश हुए, सामना कर सकता है। वह अन्त तक पुरुषार्थ के  साथ संघर्ष करता रहता है। जिन व्यक्तियों की प्रकृति में विश्वास नहीं होता उन्हीं में सहनशीलता और साहस का भी अभाव होता है।

संदर्भ : माताजी के वचन (भाग-१)

शेयर कीजिये

नए आलेख

भगवान के दो रूप

... हमारे कहने का यह अभिप्राय है कि संग्राम और विनाश ही जीवन के अथ…

% दिन पहले

भगवान की बातें

जो अपने हृदय के अन्दर सुनना जानता है उससे सारी सृष्टि भगवान् की बातें करती…

% दिन पहले

शांति के साथ

हमारा मार्ग बहुत लम्बा है और यह अनिवार्य है कि अपने-आपसे पग-पग पर यह पूछे…

% दिन पहले

यथार्थ साधन

भौतिक जगत में, हमें जो स्थान पाना है उसके अनुसार हमारे जीवन और कार्य के…

% दिन पहले

कौन योग्य, कौन अयोग्य

‘भागवत कृपा’ के सामने कौन योग्य है और कौन अयोग्य? सभी तो उसी एक दिव्य…

% दिन पहले

सच्चा आराम

सच्चा आराम आन्तरिक जीवन में होता है, जिसके आधार में होती है शांति, नीरवता तथा…

% दिन पहले