मधुर माँ,
हम प्रायः कोई नयी चीज़ करने से डरते हैं, शरीर नये तरीके से क्रिया करने से इंकार करता हैं, जैसे जिम्नास्टिक में कोई नयी क्रिया करने या नयी तरह का गोता लगाने से। यह डर कहाँ से आता है? इससे कैसे पिण्ड छुड़ाया जा सकता है? और फिर, दूसरों को भी ऐसा करने के लिए कैसे प्रोत्साहित किया जाये?
शरीर हर नयी चीज़ से डरता है क्योंकि उसका आधार ही है जड़ता, तमस:, प्राण ही उसमें रजस या क्रियाशीलता का प्रधान लक्षण लाता है। इसलिए साधारण नियमानुसार महत्वकांक्षा, प्रतिस्पर्धा और दर्प के रूप में प्राण की घुसपैठ शरीर को तमस को झाड फेंकने और प्रगति के लिए आवश्यक प्रयास करने के लिए बाधित करती है।
स्वभावतः, जिनमे मन प्रधान है वे अपने शरीर को भाषण दे-देकर भय पर विजय पाने के लिए आवश्यक सभी युक्तियाँ जुटा सकते हैं।
सभी के लिए सर्वोत्तम उपाय है, भगवान के प्रति आत्मोसर्ग और उनकी अनंत कृपा पर विश्वास।
संदर्भ : श्रीमातृवाणी (खण्ड-१६)
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