मेरे मौन और विनम्र पूजा-भाव के साथ प्रणाम … ।
मैं तेरी महिमा के आगे नमन करती हूँ क्योंकि वह अपनी सारी भव्यता के साथ मुझ पर छा जाती है । …
कृपा कर कि मैं तेरे चरणों में घुल-मिल जाऊँ, तेरे अंदर गल जाऊँ !
संदर्भ : प्रार्थना और ध्यान
जो अपने हृदय के अन्दर सुनना जानता है उससे सारी सृष्टि भगवान् की बातें करती…
‘भागवत कृपा’ के सामने कौन योग्य है और कौन अयोग्य? सभी तो उसी एक दिव्य…
सच्चा आराम आन्तरिक जीवन में होता है, जिसके आधार में होती है शांति, नीरवता तथा…