मधुर माँ,
हम दूसरे की आवश्यकता को कैसे जान सकते और उसकी सहायता कैसे कर सकते हैं ?
मैं बाहरी चीजों और मानसिक क्षमताओं की बात नहीं कर रही थी ! सच्चा प्रेम अन्तरात्मा में होता है (बाकी सब प्राणिक आकर्षण या मानसिक अथवा भौतिक आसक्ति के सिवा कुछ नहीं है ) और अंतरात्मा या चैत्य पुरुष सहज वृत्ति से जानता है कि दुसरें को क्या पाने की जरूरत है और हमेशा उसे वह देने के लिए तैयार रहता है ।
संदर्भ : श्रीमातृवाणी (खण्ड-१६)
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