कोई भी व्यक्ति अपनी चेतना को मानसिक और प्राणिक स्तर से ऊपर उठा सकता है और ऊपर से शक्ति, आनंद, प्रकाश ,ज्ञान को नीचे उतार ला सकता है; लेकिन यह कहीं अधिक कठिन और अपने परिणाम में अनिश्चित है, साथ ही खतरनाक भी, यदि सत्ता तैयार न हो या पर्याप्त रूप से शुद्ध न हो। इस उद्देश्य से चैत्य के साथ आरोहण करना निश्चित रूप से सर्वश्रेष्ठ मार्ग है ।
संदर्भ : श्रीअरविंद के पत्र (भाग-२)
मेरी प्यारी माँ, काश ! मैं अपनी अज्ञानी सत्ता को यह विश्वास दिला पाता कि…
तुम्हारा अवलोकन बहुत कच्चा है। ''अन्दर से'' आने वाले सुझावों और आवाजों के लिए कोई…
क्षण- भर के लिए भी यह विश्वास करने में न हिचकिचाओ कि श्रीअरविन्द नें परिवर्तन…
सबसे पहले हमें सचेतन होना होगा, फिर संयम स्थापित करना होगा और लगातार संयम को…
प्रेम और स्नेह की प्यास मानव आवश्यकता है, परंतु वह तभी शांत हो सकती है…