… चैत्य अग्नि को कैसे प्रज्वलित किया जाये?

अभीप्सा के द्वारा।

प्रगति करने के संकल्प के द्वारा, पूर्णता-प्राप्ति की उत्कण्ठा के द्वारा।

सबसे बढ़ कर, प्रगति करने का और अपने-आपको शुद्ध करने का संकल्प ही चैत्य अग्नि को प्रज्वलित  करता है; प्रगति का संकल्प हो। जिन लोगों में प्रबल संकल्प-शक्ति होती है, वे जब इसे आध्यात्मिक प्रगति और शुद्धि की ओर मोड़ते हैं तो उनके अन्दर वह अग्नि अपने-आप प्रज्वलित हो उठती है। और प्रत्येक दोष को जिसे तुम सुधारना चाहते हो या प्रत्येक प्रगति को जिसे तुम करना चाहते हो,-यदि उस सबको तुम अग्नि में झोंक देते हो तो वह एक नयी तीव्रता के साथ जल उठती है। यह कोई निरा रूपक नहीं है, यह सूक्ष्म-भौतिक जगत् का एक तथ्य है। तुम उस लौ की गर्मी को अनुभव कर सकते हो, तुम सूक्ष्म-भौतिक जगत् में उस लौ की ज्योति को देख सकते हो। और, जब तुम्हारी प्रकृति में कोई ऐसी चीज होती है जो तुम्हें आगे बढ़ने से रोकती है और तुम उसे उस अग्नि में झोंक देते हो तो वह जलना आरम्भ कर देती है और लौ अधिक तेज हो जाती है।

संदर्भ : प्रश्न और उत्तर १९५६

शेयर कीजिये

नए आलेख

हर किसी के पास मत जाओहर किसी के पास मत जाओ

हर किसी के पास मत जाओ

जो लोग इस कारण यातना भोगते हैं कि उन्हें किसी तथाकथित संन्यासी से परिचित होने…

% दिन पहले
अप्रसन्नता और कपटअप्रसन्नता और कपट

अप्रसन्नता और कपट

तुम दुःखी, बहुत उदास, निरुत्साहित और अप्रसन्न हो जाते हो : "आज चीज़ें अनुकूल नहीं…

% दिन पहले
भूल और प्रगतिभूल और प्रगति

भूल और प्रगति

जब कोई भूल हो तो उसका हमेशा प्रगति करने के लिए उपयोग करना चाहिये, एक…

% दिन पहले

शक्ति को खींचने की कोशिश

मैं तुम्हें एक चीज की सलाह देना चाहती हूँ। अपनी प्रगति की इच्छा तथा उपलब्धि…

% दिन पहले

भगवान तथा औरों के प्रति कर्तव्य

जिसने एक बार अपने-आपको भगवान् के अर्पण कर दिया उसके लिए इसके सिवा कोई और…

% दिन पहले

मानवजाति की भलाई

जो व्यक्ति पूर्ण योग की साधना करना चाहता है  उसके लिये मानवजाति की भलाई अपने-आप…

% दिन पहले