मधुर माँ,
जब श्रीअरविंद चेतना के परिवर्तन की बात करते हैं तो उनका अर्थ क्या होता है ?
सामान्य अज्ञानभरी मानव चेतना से निकल कर भागवत उपस्थिती के ज्ञान पर आधारित यौगिक चेतना में जाना ।
संदर्भ : श्रीमातृवाणी (खण्ड-१६)
आत्म-विश्वास के बिना तुम कभी कुछ नहीं कर सकते ... क्योंकि साधना के प्रारम्भिक बेचैनी-भरे…
जो अपने हृदय के अन्दर सुनना जानता है उससे सारी सृष्टि भगवान् की बातें करती…
‘भागवत कृपा’ के सामने कौन योग्य है और कौन अयोग्य? सभी तो उसी एक दिव्य…