यदि तू अंत्यन्त घृणित कीट तथा अत्यन्त अधम अपराधी को प्यार नहीं कर सकता तब भला तू यह कैसे विश्वास कर सकता है कि तू ने अपने अन्तर में भगवान को स्वीकार कर लिया है ।
संदर्भ : विचारमाला और सूत्रावली
क्षण- भर के लिए भी यह विश्वास करने में न हिचकिचाओ कि श्रीअरविन्द नें परिवर्तन…
सबसे पहले हमें सचेतन होना होगा, फिर संयम स्थापित करना होगा और लगातार संयम को…
प्रेम और स्नेह की प्यास मानव आवश्यकता है, परंतु वह तभी शांत हो सकती है…
पत्थर अनिश्चित काल तक शक्तियों को सञ्चित रख सकता है। ऐसे पत्थर हैं जो सम्पर्क की…